भारत 2030 तक विकसित राष्ट्र बने इसके लिए हर स्तर पर प्रयास हो रहा है। लेकिन गांव के लोग मर्ज, कर्ज और गरीबी से त्रस्त हैं। परम्परागत कला-कौशल और क्षेत्रीय संसाधनों का सम्यक् उपयोग नहीं होने से आज लगभग 34 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे जीने को विवश हैं और 60 करोड़ से अधिक लोग बेकारी या अर्ध बेकारी के शिकार हैं। बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के आने से अनेक उद्योग धंधे भी ठप हुए है। ऐसी स्थिति में राष्ट्र की आवश्यकता, समाज की अपेक्ष और सांस्कृतिक जगत की चुनौतियों को ध्यान में रखकर सुरभि शोध संस्थान गऊ आधारित समग्र विकास के प्रकल्प खड़े कर रहा है, जिससे जन-साधारण के लिए रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा, चिकित्सा-सुविधा प्राप्त करने की संभावनाएं स्पष्ट हुई है।