गाय धरती पर एकमात्र ऐसा प्राणी है जो आक्सीजन ग्रहण करता है. साथ ही आक्सीजन ही छोड़ता है.
गाय के मूत्र में पोटैशियम, सोडियम, नाइट्रोजन, फॉस्फेट, यूरिया एवं यूरिक एसिड होता है.
गाय के दूध में रेडियो विकिरण से रक्षा करने की सबसे ज्यादा शक्ति होती है !
गाय का दूध दिल की बीमारी से बचाता है |
गाय का दूध यादाश्त को बढ़ाता है |
गाय के गोबर में हैजे के कीटाणु को नष्ट करने की शक्ति है |
गाय के गोबर की गंध से अन्य रोग के कीटाणु मर जाते है |
एक गाय के एक तोला घी से यज्ञ करने से एक टन ऑक्सीजन बनती है |
गाय के दूध में केरोटीन पदार्थ से आँखों की रोशनी बढती है|
गोबर दाद, खाज और घाव में लाभदायक होता है|
सिर्फ एक गाय के गोबर से हार साल 45000 लीटर बायोगैस मिलती है |
दूध देते समय गाय के मूत्र में लैक्टोस की वृद्धि होती है, जो हृदय रोगों के लिए लाभकारी है.
गऊ माता का दूध चिकनाई रहित परन्तु शक्तिशाली होता है. उसे कितना भी पीने से मोटापा नहीं बढ़ता तथा स्त्रियों के प्रदर रोग में भी लाभदायक होता है.
गऊ माता के गोबर के उपले जलने से मक्खी मछर आदि कीटाणु नहीं होते तथा दुर्गन्ध का भी नाश होता है.
गऊ-मूत्र सुबह खाली पेट पीने से कैंसर ठीक हो जाता है.
गऊमाता के गोबर में विटामिन बी-12 प्रचुर मात्रा में होता है, यह रेडियोधर्मिता को सोख लेता है.
गऊ-माता के शारीर पर प्रतिदिन 15-20 मिनट हाथ फेरने से ब्लड प्रेशर जैसी बीमारी एकदम ठीक हो जाती है.
गऊ-माता के शरीर से निकलने वाली सात्विक तरंगे आस-पास के वायुमंडल को प्रदूषण रहित बनाती है.
गऊ-माता के शारीर से प्राकृतिक रूप से गूगल की गंध निकलती है.
गऊ या उसके बछड़े के रंभाने से निकलने वाली आवाज़ मंदिक विकृतियों तथा रोगों को नष्ट करती है.
इन सभी तथ्यों की पुष्टि जर्मन के कृषि वैज्ञानिक डॉ. जुलिशुस एवं डॉ. बुक द्वारा की जा चुकी है
अमरीकन वैज्ञानिक जेम्स मार्टिन के अनुसार गाय का गोबर एवं खमीर को समुद्र के पानी के साथ मिला कर ऐसा केमिकल बनाया जो बंजर भूमि को हरा-भरा कर देता है. सूखे
तेल के कुए में फिर से तेल आ जाता है.
भारत में गायों की संख्या 7 करोड़ 64 लाख है जो रोजाना 14 करोड़ टन दूध देती है|
इटली के वैज्ञानिक प्रो. जे ई बिग्रेड ने गाय के गोबर से अनेक प्रयोग करके यह सिद्ध किया कि गाय के गोबर से अनेक असाध्य बीमारियाँ ठीक हो जाती है|