भारतीय समाज में गाय केवल एक जीव मात्र नहीं है, गाय हमारी संस्कृति और सभ्यता का प्रतीक है और इसलिए हमारे धर्म शास्त्रों में गाय को माता का दर्जा दिया गया है। भारतीय देसी गायों में समय के साथ काफी परिवर्तन आया हैं और इनके इन्हीं गुणों के कारण भारत ही नहीं विदेशों में भी लोगों ने इनका सम्मान किया। भारतीय नस्ल की गायों का दूध जहां एक ओर फायदेमंद है, वही गऊमूत्र और अन्य गऊ उत्पाद आज लोगों में बहुत लोकप्रिय हो रहे है। गऊमाता बेहद ही निस्वार्थ भाव से हमारी सेवा करती है, लेकिन विडंबना देखिए कि हमारा समाज गऊमाता के प्रति बेहद ही असंवेदनशील हो चला है।
गऊमाता के प्रति दिल्ली जैसे महानगरों का हाल और भी ज्यादा कठोर है। आवारा और लाचार गऊमाता को हम अक्सर सड़कों पर घुमते और कचरा आदि खाते देख सकतें है। इसी क्रम में गऊमाता दुर्घटना का शिकार होती है और कुड़े कचरे आदि में पॉलीथीन खाने के कारण अनेक बीमारियों की गिरफ्त में आ जाती हैं। गऊमाता की इसी पीड़ा को देखते हुए ‘श्रीकृष्ण गऊशाला’ ने गऊ चिकित्सा सेवा योजना को आरंभ किया है। गऊ सेवा को जन-जन से जोड़ने के लिए इस योजना के अंतर्गत गऊभक्तों से 500/- रुपये मासिक सदस्यता शुल्क (दान) लेकर सदस्य बनाया जाता है। इस योजना के तहत श्रीकृष्ण गऊशाला प्रबंधन सड़को पर लाचार, बेसहारा और दुर्घटनाग्रस गऊमाता को आश्रय देने और इलाज की व्यवस्था करता हैं। इसके लिए एक लिफ्ट वाली मेडिकल वैन ‘गौरथ’, 4 डाक्टरो, 10 कम्पाउडर, 10 सुपरवाइज और 225 गऊसेवक की एक बेहद मजबूत टीम सदैव तैनात रहती है। गऊशाला में दुर्घटनाग्रसत और बीमार गऊमाता के इलाज के लिए ग्लूकोज चढ़ाने की व्यवस्था और मरहम-पट्टी आदि की अनेक सुविधाएं मौजूद है।
वही गऊभक्तों के सहयोग से गऊशाला के परिसर में आधुनिक सुख-सुविधा वाले एक अस्पताल का भी निर्माण किया गया है। इस अस्पताल में सभी संसाधनों से लैस एक आपरेशन थिएटर भी हैं, जिसके अंतर्गत सड़क पर दुर्घटनाग्रसत गऊमाता को त्वरित इलाज किया जा रहा है।
इस योजना के लिए गऊभक्त एक महीने की या कई महीने की राशि एक साथ दे सकते है। गऊशाला ने इस राशि को गौभक्तों से एकत्रित करने के लिए विशेष प्रबंध किए है। यह राशि गौभक्तों के कार्यालय या घर से संग्रह करने की व्यव्स्था है। गऊशाला का सेवक योजना के सदस्यों के पास जाकर रसीद देकर यह राशि प्राप्त करता है। इस योजना को गऊभक्तों का बेहद अच्छा सहयोग प्राप्त हो रहा है। हजारों की संख्या में गऊभक्त इस योजना के तहत पंजीकृत किए जा चुके है। सदस्यों का सम्मान करने हेतु गऊशाला विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन समय-समय पर करता रहता है। इसी क्रम में गोपाष्टमी के आयोजन में गऊभक्तों को सम्मानित किया गया, जिसमें 300 से अधिक गऊभक्तों को भव्य प्रतीक चिन्ह व अंग वस्त्र प्रदान किये गये।